Translated into Hindi: An excerpt from ‘Ambedkar: Ek Jeevan’ by Shashi Tharoor
The story of BR Ambedkar from his birth on April 14, 1891 to his death in Delhi on December 6, 1956.

शशि थरूर की किताब अम्बेडकर: एक जीवन का एक अंश, अमरेश द्विवेदी द्वारा अनुवादित, वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित।
संविधान के मसौदे को संविधान सभा में तीन बार पढ़ा गया और उस पर गहन चर्चा हुई। सभा में हर अनुच्छेद पर चर्चा हुई, वाद-विवाद हुआ, उसकी भाषा बदली गयी और राजनीतिक समझौतों को दुरुस्त किया गया। अम्बेडकर के कुछ क्रान्तिकारी सुझावों, जैसेकि कृषि और मुख्य उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के सुझाव को ख़ारिज कर दिया गया। सदस्यों ने क़रीब सात हज़ार छह सौ संशोधन प्रस्ताव दिये जिन पर विचार करने और उनका समाधान किये जाने की ज़रूरत थी। हर अनुच्छेद और संशोधन ने प्रश्नों और वक्तव्यों की शृंखला खड़ी कर दी, और संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में अम्बेडकर ने उनका जवाब और स्पष्टीकरण दिया। चर्चा को संचालित और नियन्त्रित करने का उनका प्रदर्शन इतना आधिकारिक, तार्किक और प्रभावशाली था कि संविधान ने जनता की कल्पना में अम्बेडकर के शब्दों में ही आकार लिया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि सामाजिक बदलाव के लिए अम्बेडकर की जुनूनी प्रतिबद्धता संविधान की मूल अवधारणा में समाहित थी। संविधान सभा में समर्थकों और आलोचकों ने समान भाव से अम्बेडकर के प्रयास की सराहना और प्रशंसा की; कई लोगों ने कहा कि अनथक कठोर परिश्रम का उनके पहले से ही ख़राब...